मित्रों ISRO का आदित्य एल 1 मिशन सूर्ययान (Aditya-L1) लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह तैयार है । आज के टेक्नॉलजी विशेष मे हम चर्चा करेंगे आदित्य एल 1 मिशन लॉन्च तिथि, इस मिशन का उद्देश ओर सूर्ययान से जुड़े सभी उपकरन ओर बजट के बारे मे जीसे जानकर न केवल आप हैरान होंगे बल्कि अपने भारतीय होने गर्व महसूस करेंगे ।
मित्रों भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO – Indian space resarch organization) ने 23 अगस्त 2023 को सिर्फ 600 करोड़ के बजट मे चंद्रयान 3 का सफल लैन्डिंग किया था ओर तभी भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ओर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने इसरो के अगले मिशीन आदित्य एल 1 की घोषणा की थी । जी हां चंद्रयान 3 के सफलता के सिर्फ 10 दिनों के अंदर इसरो ओर एक धमाका करने वाला है मिशन सूर्ययान आदित्य एल 1 जो 2 सप्टेंबर 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार (एसडीएससी शार), श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा ।

आदित्य एल 1 मिशन क्या है
मित्रों आदित्य एल1 मिशन भारतीय अंतरिक्ष संघटन इसरो का एक अग्रणीय मिशन है जिसका उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। आदित्य L1 नामक अंतरिक्ष सूर्ययान से सूर्य के लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) नामक बिंदु के आसपास एक विशेष कक्षा में सेटेलाइट स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह विशेष कक्षा अंतरिक्ष यान को बिना किसी रुकावट के लगातार सूर्य का निरीक्षण करने की अनुमति देती है, जैसे कि जब सूर्य पृथ्वी या अन्य वस्तुओं द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। इस निरंतर दृश्य से वैज्ञानिकों को सूर्य की गतिविधियों के बारे में और अधिक जानकारी में मदद मिलेगी ।
आप को बता दे की अंतरिक्ष सूर्ययान आदित्य एल 1 मे सात अलग-अलग उपकरणों से सुसज्जित है, जिन्हें पेलोड कहा जाता है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य के विभिन्न हिस्सों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेंगे। ये पेलोड सूर्य की बाहरी परतों, जैसे कोरोना, साथ ही इसके नीचे की परतों, जैसे क्रोमोस्फीयर, का अध्ययन करेंगे । इनमें से कुछ पेलोड सूर्य से आने वाले विभिन्न प्रकार के कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का भी पता लगाने मे इसरो के वैज्ञानिकों की मदत करेंगे ।
मित्रों इन विशेष उपकरणों का उपयोग करके, आदित्य एल1 मिशन का लक्ष्य इसरो के वैज्ञानिको के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है। जैसे सूर्य की बाहरी परतें कैसे गर्म होती हैं, सौर ज्वालाओं और कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन जैसी घटनाओं का अध्ययन करना और सूर्य से आने वाले कणों और क्षेत्रों का अवलोकन करना। आप की जानकारी के लिए बता दे की यह जानकारी सूर्य के व्यवहार और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, जो संचार प्रणालियों और उपग्रहों जैसी चीजों को प्रभावित कर सकती है।
इन महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, अंतरिक्ष सूर्ययान आदित्य एल 1 के पेलोड को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है: रिमोट सेंसिंग और इन-सीटू अवलोकन। मित्रों रिमोट सेंसिंग पेलोड सूर्य की विभिन्न परतों की तस्वीरें और माप लेने के लिए कैमरे और स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करते हैं। वही दूसरी ओर, इन-सीटू पेलोड सीधे अंतरिक्ष यान के चारों ओर कणों और चुंबकीय क्षेत्रों को मापते हैं।
कुछ विशिष्ट पेलोड में विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) जैसे उपकरण शामिल हैं, जो सूर्य के कोरोना की छवियों और स्पेक्ट्रा को कैप्चर करता है, और सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी), जो फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेता है। अन्य उपकरण, जैसे कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) और प्लाज़्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), उन कणों का विश्लेषण करते हैं जिन्हें सूर्य अंतरिक्ष में छोड़ता है। आईए आदित्य एल 1 के इन विशेष उपकरणों को जरा विस्तार से जानते है ।
आदित्य एल 1 मिशन के पेलोड / सूर्ययान के उपकरण
मित्रों आदित्य एल1 मिशन उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों की एक विशेष श्रृंखला से सुसज्जित है जिन्हें पेलोड के रूप से जाना जाता है। ये पेलोड विशिष्ट कार्यों को करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो सूर्य के व्यवहार और अंतरिक्ष पर इसके प्रभाव के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। आज हम इन पेलोड और उनकी मुख्य क्षमताओं के बारे मे विस्तार से चर्चा करते है ।
रिमोट सेंसिंग पेलोड:
1. विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC): वीईएलसी सूर्य के कोरोना की छवियों और स्पेक्ट्रा को कैप्चर करने में सक्षम है। यह इसरो के वैज्ञानिकों को विभिन्न तत्वों द्वारा उत्सर्जित प्रकाश किरणों का विश्लेषण करके सूर्य की सबसे बाहरी परत, जिसे कोरोना के नाम से जाना जाता है, इसका अध्ययन करने में सक्षम बनाता है। इससे सूर्य के कोरोना की गतिशीलता और विशेषताओं को समझने में मदद मिलती है।
2. सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप(SUIT): SUIT को सूर्य के प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरे लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह संकीर्ण और ब्रॉडबैंड पराबैंगनी फिल्टर दोनों का उपयोग करके फोटो को कैप्चर करेगा । यह पेलोड सूर्य की निचली वायुमंडलीय परतों और उनकी परस्पर क्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हमारे वैज्ञानिकों को प्रदान करेगा ।
3. सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS): SoLEXS यह एक नरम एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है जो इसरो के वैज्ञानिकों को सूर्य को एक तारे के रूप में देखने की अनुमति देता है। यह सूर्य द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे हमारे शोधकर्ताओं को इसकी संरचना और गतिविधि में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
4. हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): यह पेलोड एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के रूप में कार्य करता है और सूर्य को एक तारे के रूप में भी निरीक्षण करेगा। यह उच्च-ऊर्जा एक्स-रे का पता लगाता है, जो सूर्य के उत्सर्जन के बारे में अतिरिक्त डेटा प्रदान करने मे इसरो की बहोत मदत कर सकता है ।

इन-सीटू पेलोड:
1. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): एएसपीईएक्स को सौर हवा यानि सोलर विंड का विश्लेषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें सूर्य द्वारा छोड़े गए पराग कण शामिल हैं। यह विशेष रूप से प्रोटॉन और भारी आयनों पर अपना लक्ष केंद्रित करेगा । इन कणों के गुणों और दिशाओं का बारीकी से अध्ययन करके इसरो के वैज्ञानिक को अंतरिक्ष पर्यावरण पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ ने मे मदत करेगा ।
2. आदित्य के लिए प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज(PAPA) : पीएपीए एक अन्य इन-सीटू पेलोड है जो सोलर विंड के कणों का अध्ययन करता है। यह ASPEX के समान इलेक्ट्रॉनों और भारी आयनों पर ध्यान केंद्रित करता है। इन कणों की संरचना और गुणों का विश्लेषण करने से अंतरिक्ष के मौसम पर सौर हवा के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी ।
3. एडवांस्ड त्रि-एक्सियल हाई-रेजोल्यूशन डिजिटल मैगनीटोमीटर्स: मित्रों यह पेलोड अंतरिक्ष यान के चारों ओर अंतरिक्ष में चुंबकीय क्षेत्र को सीधे मापता है। यह अंतरिक्ष यान के आसपास चुंबकीय क्षेत्र (बीएक्स, बाय और बीजेड) की ताकत और दिशा के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इन चुंबकीय क्षेत्रों को समझने से सूरज की गतिविधियों और अंतरिक्ष पर्यावरण पर उनके प्रभावों की जानकारी मिलेगी ।
मित्रों यह सारे पेलोड सामूहिक रूप से हमारे वैज्ञानिकों को सूर्य के व्यवहार के विभिन्न पहलुओं की जांच करने में सक्षम बनाते हैं, जिसमें इसकी बाहरी परतें, उत्सर्जन, कण उत्सर्जन और चुंबकीय क्षेत्र शामिल हैं। मित्रों इन सारे उपकरणों से हमारे इसरो के वैज्ञानिको को सूर्य का अध्ययन करने मे मदत मिलेगी लेकिन अब आप के मन मे प्रश्न आता होगा की ISRO का आदित्य एल 1 मिशन का उद्देश क्या है ? तो अब एक एक कर समझते है सूर्ययान मिशन के उद्देश को ।
आदित्य-एल1 मिशन सूर्ययान के प्राथमिक वैज्ञानिक उद्देश
मित्रों जिस चंद्रयान 3 का उद्देश्य चंद्रमा पर पानी या बर्फ की खोज करना था उसी प्रकार सूर्ययान मिशन आदित्य एल 1 के प्रमुख 5 उद्देश है है जिसमे सूरज के वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन, अंतरिक्ष मोसम की जांच, सोलर विंड का विश्लेषण , सूर्य की बाहरी परत सोर कोरोना की खोज ओर सूरज के चुंबकीय क्षेत्र को समझना है आए इन उद्देश्यों को आसान भाषा मे समझते है ।
1. सौर वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन: आदित्य एल 1 मिशन का उद्देश्य क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित सूर्य के ऊपरी वायुमंडल की गतिशीलता को समझना है। इन क्षेत्रों का अवलोकन करके, वैज्ञानिकों को हीटिंग तंत्र, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), और सौर फ्लेयर्स जैसी प्रक्रियाओं को उजागर करने की उम्मीद है। जिससे सूर्य के बढ़ते तापमान की असली वहज इसरो के वैज्ञानिक खोजने की कोशिश करेंगे ।
2. अंतरिक्ष मौसम की जांच: आदित्य एल 1 अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं को समझने में योगदान देना चाहता है। सौर गतिविधियों से प्रभावित अंतरिक्ष मौसम की घटनाएं, पृथ्वी पर उपग्रह संचालन, संचार प्रणालियों और पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकती हैं इसीलिए आदित्य एल 1 मिशन भविष्य मे ऐसे घटना के रोकथांब करने की दिशा मे पहिला तथा प्रमुख कदम है ।
3. सौर हवा और कणों का विश्लेषण: मित्रों आदित्य एल 1 मिशन का एक ओर उद्देश्य सौर हवा – सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों की एक धारा के साथ-साथ सूर्य द्वारा छोड़े गए अन्य कणों का विश्लेषण करना है। यह डेटा इसरो के शोधकर्ताओं को कण गतिशीलता और अंतरिक्ष पर्यावरण पर उनके प्रभावों को समझने में मदद कर सकता है जिससे हमे सोलर विंड के बारे मे अधिक जानकारी प्राप्त होगी ।
4. सौर कोरोना की खोज: अंतरिक्ष यान के उपकरण सौर कोरोना के तापमान, वेग और घनत्व का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं । मित्रों सूर्य की सबसे बाहरी जीसे हम कोरोनाकहते है उसके तापन तंत्र और व्यवहार से संबंधित प्रश्नों के समाधान में यह सूर्ययान मिशन सहायता प्रदान करेगा ।
5. अंतरिक्ष चुंबकीय क्षेत्रों को समझना: इस मिशन में अंतरिक्ष यान के आसपास यानि लैग्रेंज पॉइंट 1 के चुंबकीय क्षेत्रों को मापने के लिए पेलोड शामिल हैं। चुंबकीय क्षेत्र विभिन्न सौर घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अंतरिक्ष के मौसम पर प्रभाव डालते हैं इसलिए ऐसे प्रभाव डालने वाले तत्वों का अध्ययन करना इसरो एक ओर उद्देश है ।
मित्रों आदित्य-एल1 मिशन सूर्य और पृथ्वी के अंतरिक्ष पर्यावरण पर इसके प्रभाव के बारे में हमारे ज्ञान को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता रखता है। एक अनूठे दृष्टिकोण से सूर्य का अवलोकन करके, इसरो के वैज्ञानिकों को डेटा इकट्ठा करने की उम्मीद है जो अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं की बेहतर भविष्यवाणी और सौर प्रक्रियाओं की गहरी समझ में योगदान दे सकता है। इस ज्ञान का अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों और संचार प्रणालियों की सुरक्षा और रखरखाव में व्यावहारिक अनुप्रयोग है।मित्रों इसीलिए आदित्य एल 1 मिशन से भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष क्षेत्र मे एक बड़ी क्रांति के लिए पूरी तरह तैयार है ।
आदित्य एल 1 मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक
आदित्य-एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक हैं डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के. वह बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में काम करते हैं। डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के सौर विज्ञान में विशेषज्ञ है । उन्होंने बैंगलोर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र मे पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा रहे हैं। आदित्य-एल1 मिशन मे शामिल विज्ञानिकों के समूह का नेतृत्व डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के सर कर् रहे हैं । वह आदित्य-एल1 पर एक विशेष उपकरण के प्रभारी मुख्य व्यक्ति भी हैं जो सूर्य से एक्स-रे निरीक्षण करेंगे ।
डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के. वैज्ञानिकों की उस टीम का नेतृत्व भी कर रहे हैं जिसने आदित्य आदित्य एल 1 मिशन के लिए सभी उपक्ररण बनाए थे।साथ ही आप को बता दे की इस मिशन का सारा अध्ययन भी डॉ. शंकरसुब्रमण्यम सर के नेत्रत्व मे होगा ।
आदित्य एल 1 मिशन का बजट
मित्रों जैसा की मैने शुरू मे कहा भारत ने सिर्फ 600 करोड़ के बजट मे चंद्रयान 3 मिशन पूरा कर एक इतिहास रच दिया था । ओर आने वाले 2 तारीख को इसरो ओर एक कड़ी अपने गौरवशाली इतिहास मे जोड़ने वाला है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते । मित्रों आज के समय मे बॉलीवूड की फिल्म बनाने के लिए भी 400 से 500 करोड़ का खर्चा आता है क्या आप को बता है भारत का आदित्य-एल1 मिशन इससे भी आधे बजट मे पूरा हो रहा है ।
मित्रों आप को बता दे की आदित्य एल 1 मिशन सिर्फ 378 करोड़ के बजट मे पूरा होने सूरज पे जा रहा है यह एक वैज्ञानिक चमत्कार है । मित्रों आज के समय मे प्राइवेट जट से कोई अमेरिका जाता है तो भी उसका किराया सो करोड़ से भी उपर हो जाता है ऐसे ऐसे स्थिति मे माँ भारती के इसरो मे बैठे सपूत सिर्फ 378 करोड़ मे सूरज के की आँख से आग नापने जा रहे है । जिसका लाइव प्रक्षेपण आप 2 सप्टेंबर 2023 को देखने को मिलेगा । इसरो के इस अद्भुत वैज्ञानिक चमत्कार को हमारा सलाम ।