लोकप्रिय हरियाणवी गायक राजू पंजाबी का पीलिया के कारण दुखद निधन हो गया है। 40 वर्षीय गायक का पीलिया का इलाज हिसार के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। आचा लागे से, देसी देसी, तू चीज लाजवाब, लास्ट पेग और भांग मेरे यारा ने जैसे हिट गानों के लिए मशहूर राजू पंजाबी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रावतसर के रहने वाले थे। राजू पंजाबी ने आज करीब 10 बजे अपनी अंतिम सांस ली ओर अपनी सुरों की महफ़िल को अधूरा छोड़ गए
राजू पंजाबी के निधन की खबर की पुष्टि उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर के माध्यम से की गई। उसमे कहा गया कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार (22 अगस्त, 2023) को दोपहर 3 बजे हनुमानगढ़ जिले के खेतरपाल मंदिर के पास उनके पैतृक गांव रावतसर में किया जाएगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गायक के निधन पर दुख व्यक्त किया और इसे हरियाणा संगीत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण क्षति बताते हुए राजू पंजाबी के परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना को प्रगट किया है ।

राजू पंजाबी पिछले कुछ हफ्तों से एक निजी अस्पताल में पीलिया का इलाज करा रहे थे। पीलिया लीवर से जुड़ी एक बीमारी है। यह तब होता है जब लिवर ठीक से काम नहीं करता है, जिससे बिलीरुबिन नामक अपशिष्ट पदार्थ का निर्माण होता है। इस अतिरिक्त बिलीरुबिन के कारण त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं। जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, रंग पीले से हरे रंग में बदल सकता है।
हाला की राजू पंजाबी के फँस को पूरी उमीद थी की वो इस खतरनाक बीमारी से लढ़ के फिर एक बार अपने गीतों सुरों की महफ़िल रोशन कर देंगे । लेकिन ऐसा हो नहीं पाया सुरों का यह बेताज बादशाह जिंदगी के गीत को अधूरा छोड़ गया । परिवार सहित अपने फँस को अपनी सुरेली आवाज के यादे देकर राजू पंजाबी ने दुनिया की महफ़िल को अधूरा छोड़ दिया ।
ऐसे रही राजू पंजाबी की संगीत यात्रा
मशहूर हरियाणवी गायक राजू ने अपनी प्रतिभा और समर्पण से संगीत की दुनिया में अपनी जगह बनाई थी । राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक छोटे से कस्बे रावतसर में जन्मे राजू पंजाबी की संगीत यात्रा उनके जीवन के शुरुआती वर्षों में शुरू हुई।
प्रारंभिक जीवन और संगीत से परिचय
संगीत के प्रति राजू का जुनून बचपन में ही जग गया। उन्होंने गायन और धुनों में प्रारंभिक रुचि प्रदर्शित की। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध वातावरण में पले-बढ़े, उन्हें पारंपरिक हरियाणवी लोक संगीत का के प्रति काफी रुचि थी । राजू पंजाबी अक्सर इसे गाते थे और धुनों के साथ नए प्रयोग करते थे, जिससे संगीत के प्रति उनका जुनून समय के साथ बढ़ता गया ।
राजू पंजाबी की प्रारंभिक संघर्ष और सफलता
मित्रों कई महत्वाकांक्षी कलाकारों की तरह, राजू पंजाबी को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब उन्होंने संगीत में अपना करियर बनाने का फैसला किया। उनके पास औपचारिक प्रशिक्षण की कमी थी लेकिन उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और उत्साह से इसे पूरा किया। उन्होंने स्थानीय कार्यक्रमों, मेलों और सभाओं में प्रदर्शन करना शुरू किया, जिससे धीरे-धीरे स्थानीय समुदाय के बीच उन्हें पहचान मिलने लगी।
लेकिन असली सफलता उन्हे डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के उदय से मिली। राजू पंजाबी ने अपने संगीत को विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अपलोड करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी सुरेली आवाज लोगों तक पोहनचने लगी । आधुनिक अंदाज मे पारंपरिक हरियाणवी लोक संगीत का उनका अनूठा मिश्रण श्रोताओं को पसंद आया, जिससे उनके फँस की संख्या बढ़ती गई।
प्रमुखता की ओर उदय
जैसे-जैसे राजू की लोकप्रियता बढ़ी, उन्होंने अन्य हरियाणवी कलाकारों और निर्माताओं के साथ मिलकर हिट गाने बनाना शुरू कर दिया, जो वायरल हो गए। “आचा लागे से,” “देसी देसी,” और “तू चीज़ लाजवाब” जैसे ट्रैक एंथम बन गए, जिसने न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश मे राजू की लोकप्रियता को बढ़ा दिया था ।
उनके भरोसेमंद गीत, थिरकाने वाली धुन और विशिष्ट आवाज़ उनका ट्रेडमार्क बन गई। राजू पंजाबी का संगीत अक्सर आधुनिक विषयों को संबोधित करते हुए हरियाणा के सांस्कृतिक सार का जश्न मनाता है, जिससे यह व्यापक दर्शकों के लिए प्रासंगिक बन जाता है।
राजू पंजाबी का संगीत पर प्रभाव
जैसे-जैसे वह एक कलाकार के रू में विकसित होते गए, राजू पंजाबी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न संगीत शैलियों और शैलियों के साथ प्रयोग किया। उन्होंने गानों का निरंतर उत्पादन बनाए रखा, प्रत्येक ने उनकी विस्तारित विरासत में योगदान दिया। उनके संगीत वीडियो ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों व्यूज बटोरे, जिससे हरियाणवी संगीत जगत में अग्रणी शख्सियतों में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।
सामुदायिक और सामाजिक प्रभाव
अपने संगीत से परे, राजू पंजाबी का योगदान उनके समुदाय तक बढ़ा। उन्होंने सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया, कभी-कभी अपने गीतों में सशक्तिकरण और परिवर्तन के संदेशों को शामिल किया। वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे और अक्सर स्थानीय कार्यक्रमों में प्रदर्शन करते रहे, व्यक्तिगत स्तर पर अपने प्रशंसकों से जुड़े रहे।
एक छोटे शहर के गायक से एक प्रसिद्ध हरियाणवी कलाकार तक राजू पंजाबी की यात्रा प्रतिभा, दृढ़ता और डिजिटल युग की शक्ति का उदाहरण थी। उनके संगीत ने परंपरा और आधुनिकता के बीच की दूरी को पाट दिया और हरियाणवी संगीत परिदृश्य छाप छोड़ी थी ।
राजू की सुरेली जीवन यात्रा उल्लेखनीय थी 40 वर्षीय युवा गायक को जिंदगे मे संघर्ष करके अभी कुछ बड़ा मकाम देखना था लेकिन विधि का कोई नहीं बदल अब से कुछ महीने पहेले वर्ष 2023 ने ही राजू पंजाबी ने अपने एक गाने “आपसे मिलके यारा हमको अच्छा लगा था।” से फँस मंत्रमुग़ किया था लेकिन गाने ने ही उनका आखरी संदेश उनके फँस को दे दिया आज दोपहर 3 बजे राजू पंजाबी पंच तत्व मे विलीन हो गए ओर इस सुरीली जीवन यात्रा का अंत हुआ