Global warming in Hindi हिंदी मे समझे ग्लोबल वार्मिंग

Global warming in hindi
भूमंडलीय ऊष्माकरन / पृथ्वी का गरम होना

Table of Contents

हिंदी मे ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा (definition of global warming in hindi )

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी  की जल वायु प्रणाली का दीर्घकालीन तापमान मे होने वाली वृद्धि है।  मानवी गतिविधियों के कारण  जैसे  जीवाश्म ईंधन जलाने से ओर वायु प्रदूषण से ग्रीन होउस गैस का स्थर बढ़ता है । ओर यही ग्रीन हाउस गैस का स्थर पृथ्वी के वातावरण मे गर्मी बढ़ाने का का काम करता है इस पूरी प्रक्रिया को हम  हिंदी मे भूमंडलीय ऊष्माकरन  कहते है ( global warming  in Hindi Bhumandaliy ushmakarn   ) । इस का आकलन हम  पूर्व औद्योगिक अवधि वर्ष 1850 ओर वर्ष 1900 के बीच मे के तापमान से करते है ।

  •   पूर्व औद्योगिक अवधि के बाद  पृथ्वी की  वैश्विक औसत तापमान मे लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है । जो वर्तमान मे 0.2 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक बढ़ रही है ।
  • वर्तमान मे पृथ्वी के तापमान मे निरंतर बढ़ रही गर्मी मानवी गतिविधियों के कारण है ।  लगभग 95% से जादा मानवी गतिविधियों के कारण वर्तमान मे गर्मी बढ़ रही है ओर यह पृथ्वी की गर्मी निरंतर रूप से आगे बढ़ रही है । इस निरंतर पृथ्वी की बढ़ती गर्मी को वैज्ञानिकों ने Global warming यह नाम दिया है।Global warming in Hindi 

 

ग्रीन हाउस गॅस क्या है(Green house gas  responsible for global warming in Hindi)

यह एक प्रकर्तिक  प्रक्रिया है इसी के कारण पृथ्वी  का निचला  वायुमंडल  गरम रहता है नैसर्गिक रूप से आया हुआ ग्रीन हाउस प्रभाव जीवन के लिए अनिवार्य  है। ग्रीन  हाउस  गॅसस  पृथ्वी की सतह से उत्सर्जित अवरक्त विकिरण जीसे हम सरल भाषा मे पृथ्वी की शुद्ध गर्मी  कहते है ऐसी गर्मी या विकिरण  को  शोषित कर पृथ्वी  की सतह पर  वापस लाती है । कार्बनडाईऑक्साइड co2 , मीथेन CH4ओर वॉटर वेपर (water vapor)

लेकिन मानव निर्मित  ग्रीन हाउस गैस प्रकर्ति एवम पृथ्वी के वातावरण पर विपरीत प्रभाव डालती है ओर ऐसे मे मे सूर्य से आई किरने परावर्तित नहीं हो पाती ओर मानवनिर्मित ग्रीन हाउस गॅसस उसे शोषित करती है ओर पृथ्वी का ताप याने ( global warming in hindi)  भूमंडलीय ऊष्माकरन का कारण बनती  है । इसके प्रभाव से  समुद्र जल स्थर बढ़ना , बड़े बड़े बर्फ के पहाड़ पिघलना ओर वायु मण्डल मे परिवर्तन यह सब ग्रीन हाउस गॅस की वजह से होता है । इस मे  मुख्य रूप से कार्बनडाईऑक्साइड co2 , मीथेन CH4 यह दो गैस मिलाकर होता है ।

GLOBAL WARMING मे कार्बनडाईऑक्साइड  ओर मीथेन का प्रभाव (impact of co2 and CH4) :

GLOBAL warming का महत्वपूर्ण कारण है ग्रीन हाउस गैस ओर ग्रीन हाउस  गॅसस बनती है co2कार्बनडाईऑक्साइड ओर मीथेन से।  इसलिए इन दो वायु का सीधा सीधा प्रभाव भूमंडलीय ऊष्माकरन यानि GLOBAL वार्मिंग मे होता है ।

कार्बनडाईऑक्साइड co2 gas:

यह एक रंगीन तथा गंधनीय गॅस है ।  जो पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है । पर इस गैस का प्रमाण कुछ जादा ही बढ़ रहा है क्यूंकि इंसानों की जनसंख्या बढ़ रही है ।  यह गॅस पृथ्वी के सभी सजीव श्वसन क्रिया मे त्याग करते है ओर आक्सिजन को ग्रहण करते है ओर पेढ पौधे co 2 गैस का ग्रहण कर हमे आक्सिजन देते है ।  इसलिए पृथ्वी पर जनसंख्या बढ़ने ओर पेढ जंगल काटे जाने की वजह से co2 गॅस का अनावश्यक प्रभाव बढ़ गया है। इसके अलावा पावर स्टेशन,ईंडस्ट्री ओर वाहनों से co2 गॅस का उत्सर्जन सबसे अधिक होता है ।

मीथेन CH4 गॅस :

यह भी रंगीन तथा गंधनीय गॅस है। मीथेन जमीन तथा समुद्र स्थल के नीचे पाया जाता है । मीथेन गॅस की खोज सबसे पहले नवंबर 1776 मे इटली ओर स्वीजरलाँड़ के वैज्ञानिक आलेससोनदरों वोल्टा ने की थी । मीथेन गॅस का उपयोग आग पैदा करने के लिए होता है ।  घर मे उपयोग होने वाला गॅस सिलेंडर ओर गाड़ी मे उपयोग होने वाला CNG यह मीथेन गॅस के उदाहरण है । लेकिन विदूत उपकरण जैसे फ्रिज AC ओरऑटो मोबाईल सेक्टर मे इसका उपयोग अधिक होता है।  पावर स्टेशन ओर ऑटो मोबाईल ईंडस्ट्री यह मीथेन गॅस उत्सर्जन के दो प्रमुख स्त्रोत है ।

ग्रीन हाउस गॅस की  भूमिका :

यह  गॅस सूरज से निकली हुए सूर्य किरण को धरती  सतह पर तो आने देती है लेकिन शाम को सूर्य की किरने को परावर्तित नहीं होने देती सीधे शब्दों मे कहे तो ग्रीन हाउस गॅस सूर्य की किरणों को धरती पे ही रोक लेती है जिससे धरती का तापमान बढ़ता है । इस लिए अगर हमे धरती का तापमान संतुलित रखना है तो ग्रीन हाउस गॅस का उत्सर्जन  यानि वायु प्रदूषण कम  करना होगा ।

ग्रीन हाउस गॅस की उत्सर्जन :

co2 emission global warming in Hindi

अगर हमे global  warming को नियंत्रित करना है तो ग्रीन हाउस गॅस को नियंत्रित करना होगा अब विस्तार से जानते है  मानवी गतविधि द्वारा ग्रीन गॅस का उत्सर्जन होता कैसे है

1 पॉवर स्टेशन : लग भग 21.5 % ग्रीन हाउस गॅस का बिजली बनाने वाले पॉवर स्टेशन से होता है । आज भी जादा बिजली बनाने वाले पॉवर स्टेशन कोयला का उपयोग कर के बिजली electricity  का निर्माण करते है ।  जो बड़े स्थर पर कार्बनडाईऑक्साइड co2 उत्सर्जन करते है साथ मे इन पॉवर स्टेशन मे विदूयत उपकरण मे मीथेन गॅस का भी उपयोग होता है । लेकिन पॉवर स्टेशन से उत्सर्जित होने वाला co2 वायु प्रदूषण ओर मानवनिर्मित गॅस का मुख्य स्त्रोत है ।

2 वाहण ओर यातायात vehicle and transportation  :  मित्रों आज वर्ष 2021 मे लगभग 16% ग्रीन हाउस गॅस का उत्सर्जन वाहण ओर आतायात से होता है । इन मे आप two wheeler से लेके ट्रेन प्लैन जहाज सभी वाहण शामिल है । वाहन की इंजिन से निकलने वाला कार्बन ही कार्बनडाईऑक्साइड ग्रीन हाउस गॅस का मुख्य स्त्रोत है । ओर वाहनों की battery मे मीथेन  गॅस का उपयोग भी होता है ।

3 औद्योगीकरण industrialization : ईंडस्ट्री industry खास कर फैक्ट्री से निकलने वाला धुवा 16.6 % ग्रीन हाउस गॅस यानि कार्बनडाईऑक्साइड co2 उतसर्जित करता है । 

4 आधुनिक खेती से : खेती मे किटक नाशक का अत्यधिक उपयोग एवम फसल के बाद फसल का कचरा जला ने से भी ग्रीन हाउस गॅस का उत्सर्जन होता है । लग भग 12% तक मानव निर्मित ग्रीन हाउस गॅस आधुनिक खेती के तरीके से होती है ।

5 शहरीकरण urbanization : जन संख्या के लगातार बढ़ने से का शहर की तरफ झुकाव बाह्य एक तो पेढ काट ने  से आक्सिजन कम हुआ ओर अधिक जनसंख्या से मानव निर्मित कार्बनडाईऑक्साइड बढ़ा । साथ ही हर घर मे फ्रिज microwave एसी  कूलर सहित सभी विदूयत उपकरण मे मीथेन  गॅस का उत्सर्जन होता है । शहरीकरण urbanization से लागभग 11.3 % तक  ग्रीन हाउस गॅस का उत्सर्जन होता है ।

6 जीवाश्म ईंधन use of fossil  fuels  : जीवाश्म ईंधन अधिक उपयोग से 12.3% ग्रीन हाउस गॅस का उतसर्जन होता है ।(definition of fossil fuels in hindi ) मृत पौधों ओर जानवरों से बने कोयला, ईंधन, तेल  ओर प्रकर्तिक गॅस को जीवाश्म ईंधन कहते है जो मुख्य रूप से हाइड्रोकार्बन होते है ।

 

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भारत की जल वायु परिवर्तन पर ग्लोबल वार्मिंग का असर impact of global warming on climate of India  :

देखिए global warming भूमंडलीय ऊष्माकरन पूरे विश्व के वातावरण को प्रभावित कर रहा है जैसे गर्मी की वजह से बड़े बड़े पहाड़ पिघलना, नदियों की बाढ़ ओर किसी जगह एकदम सूखा पढ़ जाना । आज हम विस्तार से जानेंगे की हमारे भारत देश ओर देश के विभिन प्रदेशों मे ग्लोबल वार्मिंग किस प्रकार से दुष्परिणाम कर रहा है । भारत की अर्थ व्यवस्था पर ग्लोबल वार्मिंग क्या बुरा प्रभाव डाल रहा है ओर ग्लोबल वार्मिंग को हम किस प्रकार नियंत्रित कर देश ओर  दुनिया को इस संकट से बचा सकते है ।Global warming in Hindi

भारत एक आपदा प्रवण क्षेत्र है भारत मे 35 मे से 27 राज्य आपदा प्रणवता है ओर इनमे खाद्य पदर्ध को सबसे अधिक आपदा है । global वार्मिंग के कारण जल वायु आपदाओ की आवर्ती ओर तीव्रता मे अधिक  वर्द्धि देखि गई है ।

सर्वेक्षणों के अनुसार वर्ष 2007 – 2008 मे भारत मे 18 ऐसी घटना हुए है  जो आपदाओ मे विश्व मे तीसरा क्रमांक हासिल करती है  जिसके परिणाम स्वरूप इन आपदाओ के कारण 1103 लोगों की मृत्य हुई है । जो ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों की दाहकता दर्शाता है । बर्फ के पहाड़ पिघलने से (melting of glaciers) ओर समुद्र मे विस्तार से बाढ ओर तूफान की घटनाओ की संख्या बढ़ी है । ओर इसका नकारात्मक परिणाम भारत की जल वायु परिवर्तन पर देखा गया है । ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत मे 2 प्रमुख आपदा देखि गई है 1 भारत मे बाढ ओर 2 भारत मे सूखा

1 भूमंडलीय ऊष्मा के कारण भारत मे बाढ़ (Floods due to global warming in Hindi)  :

भारत दुनिया मे दूसरे नंबर का बाढ प्रभावित क्षेत्र है  भारत मे लगभग 4 करोड़  हेक्टर  भूमि बाढ़ की चपेटे मे है ओर 7.5 मिलियन से अधिक भूमि बाढ़ से प्रभावित है । भारत मे प्रति वर्ष बाढ़  के कारण 3 करोड़ लोगों को अपने घरों से विस्थापित किया जाता है ।  भारत के सबसे संवेदनशील राज्य मे बिहार,उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , गुजरात , आसाम, पश्चिम बंगाल,उड़ीसा, आंध्र प्रदेश,मध्य प्रदेश पंजाब ओर कश्मीर का समावेश किया जाता है लेकिन इनके साथ साथ अन्य राज्यों मे भी प्रति वर्ष अभूतपूर्व बाढ देखि जा रही है ।

  ग्लोबल वार्मिंग  के कारण बिहार बाढ़ (floods in Bihar due to global warming in Hindi )

बिहार मे 1987 मे आई बाढ़  को भारत के इतिहास की सबसे शीर्ष बाढ़ मे आज भी गिना  जाता  है  इस विनाशकारी  बाढ  मे  1401 लोगों को मृत्य हुई थी ओर 5302 पसू ओर जानवर मारे गए थे इस बाढ मे 600  करोड़  रुपए से जादा का का नुकसान हुआ था ओर 2 करोड़ 90 लाख लोगों को  अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा था ग्लोबल वार्मिंग की दाहकता आप को बस इस एक बाढ से मालूम होती है ।  लेकिन बीते कुछ वर्ष की बिहार की बाढ के आकडे ओर भी परेशान करने वाले है ओर दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग भारत ओर बिहार को दे रही खतरे की चेनवनी को दर्शाता है

  •  2016 बिहार बाढ मे 1254 लोगों को जान गवानी पड़ी ओर ओर 5 हजार से जादा पशु मारे गए
  • वर्ष 2017 मे 1521 लोग मारे गए  ओर एक हजार से जादा पशु भी इस बाढ के कारण मारे गए
  • वर्ष 2018 मे 1476 को जान गवानी पड़ी 600 पसू भी मारे गए
  • 2019 मे फिर एक बार बिहार मे बाढ के कारण महाविनाश का सामना करना पड़ा ओर 1885  लोगों को जान गवानी पड़ी 40 लाख से जादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा 
  • वर्ष 2020 मे भी बिहार मे भारी बाढ आई थी जिस के प्रभाव मे 16 जिले थे ओर इस बाढ से 63 लाख लोगों को प्रभवित होना पड़ा था आपदा आपदा प्रबंदन विभाग ने  सही समय पर लोगों को विस्थापित कर बहोत बड़ी जीवित हानी होने से बचाया
ग्लोबल वार्मिंग  के कारण महाराष्ट्र मे बाढ़ :

वर्ष 2005 मे महाराष्ट्र राज्य मे एक बड़ी जल वायु तभाही हुई थी 26 जुलाई 2005 मे महाराष्ट्र मे आई इस बाढ मे 5000 से जादा लोग मारे गए थे इस बाढ का कहर मुंबई समेत कोकण पर इस कदर बरस की 26 जुलाई 2005 को महाराष्ट्र का काला दिन माना जाता है इस बाढ़ मे लग भग 10 करोड़ का आर्थिक नुकसान भी राज्य को झेलना पड़ा ।

 

2 भूमंडलीय ऊष्माकरन के कारण  सूखा   (Droughts due to global warming in Hindi) 

 भारत मे कुल कृषि योग्य भूमि लगभग 68% सूखे के खतरे है। कुछ सर्वेक्षण मे अंदेशा जताया है की महाराष्ट्र के विदर्भ तथा मराठवाडा अधिक उष्णता के कारण दिन प्रतिदिन सूखे की चपेट मे आरहे है।  ओर महाराष्ट्र के इन सूखा प्रभावित हिस्से रेगिस्तान मे परिवर्तित होने का भी खतरा है । 

भारत देश मे 33% ऐसी भूमि है जिस पर सालाना 750 mm कम वर्षा होती है यह विशेष रूप से राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात कर्नाटक आंध्र प्रदेश उड़ीसा का समावेश है 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत  के मैदानी इलाकों मे पानी की उपलब्धता मे कटोती के कारण सूखे की गंभीर स्थिति पैदा हो जाएगी । कच्छ ओर ओर सोराष्ट्र की पश्चिम मे बहने वाली नदियों मे तीव्र  जल की कमी होने की संभावना है । माही,पेन्नार,साबरमती ओर तापी  नदियों को भी पानी की कमी का अनुभव होने वाला है जिससे ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत पर आने वाला सूखे का संकट दिखता है । 

 

भारत की अर्थ व्यवस्था पर ग्लोबल वार्मिंग का असर (impact on Indian economy due to global warming in Hindi)

भारतीय अर्थ व्यवस्था को सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था मे से एक माना जाता है । देश जलवायु संकटों से त्रस्त है जो अपनी अर्थव्यवस्था पर  कहर बरसा रहा है । भारत के बजट का आधा हिस्सा तो  सूखा,बाढ ओर तूफान जैसी प्रकर्तिक आपदा मे ही निपट जाता है । सूखा की वजह से फसल का नुकसान तो होता ही है साथ मे बजट मे से इस आपदा के संकट को कम करने के लिए किसानों को आर्थिक मदत भी करनी पड़ती है । 

बाढ ओर तूफान तो दो धारी तलवार की तरह काम करती है ग्लोबल वार्मिंग के कारण आई बाढ जैसी आपदा मे फसल ओर सार्वजनिक मालमता का बहोत बड़े पैमाने मे नुकसान होता ही है साथ मे लोगों के विस्थापन मे भी खर्च होता है । बिहार मे की एक बाढ मे करीब 762 करोड़ का सार्वजनिक प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ था ओर इस से जादा पैसा तो लोगों के विस्थापन पर खर्च हुआ ।  

रिसर्च के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया मे बढ़ोतरी जारी है  जिसके परिणामस्वरूप जलवायु संबंधी आपदाओ के कारण  भारत की  GDP मे लग भग  9% की कमी आएगी, जिसमे प्रमुख उत्पादन मे 40% की कमी होगी।  भारत के तापमान मे 2 डिग्री सेल्सियस की वर्द्धि से 7 मिलियन लोगों को विस्थापित करने का अनुमान है । 

ग्लोबल वार्मिंग से आई आपदा मे देश का अधिक पैसा खर्च होता है परिणामस्वरूप देश का आर्थिक विकास नहीं हो पाता ओर देश मे जादा तर लोग कुपोषण ओर बीमारी के साथ गरीबी मे जीते है । 

ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय (How to stop global warming in Hindi)

आज तक ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय वैज्ञानिक को के लिए सर दर्द था लेकिन वर्ष 2021 मे कई ऐसे तरीके है जीसे पूरी दुनिया ने माना तो विश्व ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है । ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए हमे ग्रीन हाउस गॅस को नियंत्रित करना होगा यानि  वायु प्रदूषण रोक कर co 2 की मात्रा कम करनी होगी विस्तार से  जानते है ग्लोबल वार्मिंग को कैसे नियंत्रीय कर सकते है । 

1 जंगल की कटाई रोक व्रक्षा रोपण :

दुनिया मे  बड़े तोर पर पेढ काटे जाते है  याद रखे  पेढ पोदहे हमसे कार्बनडाईऑक्साइड ग्रहण कर हमे आक्सिजन देते है । व्रक्षा रोपण ही धरती पर आक्सिजन बढ़ाने का सबसे पुराना ओर नैसर्गिक तरीका है जिस से हम वायु प्रदूषण रोक कर ग्रीन हाउस गॅस को कम  कर सकते है ।  हमे जंगल की कटाई रोकनी होगी खास कर अमेरिका जैसे देशों को  अमरीका मे घर भी लकड़ी के ही बनते है । घर,फर्नीचर, इन सब के लिए पेढ को काटना बंद करना ही होगा भारत मे हद से जादा जंगल की कटाई पहेले ही हो चुकी है । 

इसलिए अब हमे व्रक्षा रोपण पर अधिक भर देनी की जरुरत है । यदि हर इन्सान  अपने हर जन्म दिन पर एक पेढ लगा कर उसे बड़ा कर सकता है तो आने वाले 25 सालों मे हम उतना आक्सिजन जमा कर सकते है जितना हमे चाहिए अगर बढ़ती जन संख्या के हिसाब से व्रक्षा रोपण नहीं  हुआ तो हम ग्लोबल वार्मिंग की आपदा  के साथ आक्सिजन की कमी को झेलेंगे 

 

2 बिजली का उपयोग कम ओर सौरऊर्जा से बिजली का निर्माण :

आप जानते ही है लगभग 21 % से जादा ग्रीन हाउस गॅस पॉवर स्टेशन से उत्सर्जित होती है। इस लिए हमे बिजली का उपयोग कम करना होगा वर्ष 2021 मे मे बिजली की बचत के लिए कई ऐसे उपकरण है उनका इस्तमल करना ही होगा जैसे  साधारण  CFL ब्लफ़  का उपयोग 5 स्टार रेटिंग वाले फ्रिज,कूलर,वाशिंग मशीन इत्यादि। 

लेकिन इन सब से क्रांतिकारी निर्णय यह होगा की जिन देशों मे पर्याप्त सूर्य प्रकाश रहता है वो देश जैसे भारत, संयुक्त अरब अमिरात बांग्लादेस ओर सभी सौरऊर्जा से बिजली निर्मिती को बढ़ावा देना होगा । भारत सरकार ने इस पर काफी तेजी से काम करना चालू कर दिया है । लेकिन सरकार के साथ साथ अगर सामान्य नागरिक भी अपने घरों पर सौरऊर्जा  की किट लगा कर अपनी घर की बिजली की जरुरत को इस से पूरा करती है तो भारत के 30% पॉवर स्टेशन बंद होंगे ओर जो बचेंगे उन्हे भी कोयला यानि जीवाश्म ईंधन की जरूरत काफी कम होंगी। 

3 इलेक्ट्रिक वाहण :

वाहण से 16% तक ग्रीन हाउस गॅस का निर्माण होता है. जीवाश्म ईंधन जैसे की पेट्रोल डिजेल भी इस मे जलता है. ओर वाहण से निकलने वाला धुवा CO2 प्रदूषण का कारण भी बनता है. इलेक्ट्रिक वाहण इस पर बेहद कारगर उपाय है इलेक्ट्रिक वाहण से 0% CO2 का उतसर्जन होता है ओर पेट्रोल डिजेल की जरुरत नहीं होती.

अगर आज के सभी वाहनों को हम इलेक्ट्रिक वाहन से बदल दे तो हम 10 % ग्रीन हाउस गॅस को रोक सकते है.

5 ऑरर्गैनिक फ़ार्मिंग : 

रसायन मुक्त खेती से प्रदूषण नहीं होता साथ मे फसल के साइड प्रोडक्ट को डेकोमपोज कर उस से नैसर्गिक किटक नाशक बनाया जाता है इस लिए रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दे कर हम आने वाले समय मे ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण हासिल कर सकते है । 

6 प्लास्टिक का उपयोग बंद :

प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जो सालों तक Decompose नहीं होती परिणाम स्वरूप इसे कचरे मे जलाया जाता है । हमे प्लास्टिक का उपयोग करना बंद करना ही होगा साथ मे  कचरे को Decompose करना  कर वायु प्रदूषण को रोकना होगा 

7 जीवाश्म ईंधन का कम से कम उपयोग 

जीवाश्म ईंधन जैसे की कोयला ओर पेट्रोलियम इनका उपयोग कम कर के ग्रीन हाउस गॅस को उतसर्जन हम कम कर सकते है । ओर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते है । 

 ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के दिशा मे  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ ऐतिहासिक फैसले. Goverment steps to control global warming in.

Hindiभारत सरकार ओर प्रधानमंत्री मोदी जी ने उज्वला गॅस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र की गरीब महिलाओ को गॅस कनेक्शन दिया है जिस से खाना बानने के लिए  लकड़ी तोड़ना भारत मे काफी हद तक कम हुआ है इस से पेढ पोदहे तो सुरखित है ही ओर साथ मे धुवा से co 2 का उत्सर्ज भी कम हुआ है

  • भारत सरकार ने देश मे CFL  के दाम  कम करके 70% पुराने ब्लफ़ को आधुनिक CFL बल्फ से बदलने मे कामियाब रही परिणाम स्वरूप देश मे बिजली की खपत काफी कम हुई है । 
  • प्रधानमंत्री मोदी जी ने 11 देशों के साथ मिलकर सौरऊर्जा से बिजली निर्माण का प्रस्थाव रखा है यह आने वाले समय मे  ग्लोबल वार्मिंग को  नियंत्रित करने मे क्रांतिकारी निर्णय साबित 
  • देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने साल 2030 तक 50 % इलेक्ट्रिक वाहण को पुरानी पेट्रोल डिसेल  की वाहनों से बदलने का लक्ष रखा है भारत सरकार का यह निर्णय भी ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने की दिशा मे कार्तिकारी निर्णय साबित हो सकता है । Global warming in Hindi 

 

 

 

 

 

 

 

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