पिछले कुछ दिनों से महराष्ट्र की राजनीति सिर्फ दो सवालों से घिरी हुए दिखती है शिव सेना किसकी होगी ओर चुनाव चिन्ह किसे मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने शिव सेना का भविष्य चुनाव चुनाव आयोग को सोप दिया है. लेकिन कहते है ना युद्ध का फैसला मैदान मे पहले तय होता है. ऐसे मे शिव सेना के लिए एक ही रनभूमि थी 1956 से चल रहा हिन्दूह्रदयसम्राट बाला साहब ठाकरे की दशहरा मेलावा. आज विजया दशमी के दिन एकनाथ शिंदे गुट तथा उद्धव ठाकरे गुट का दशहरा मेलावा सम्पन हुवा. (Shiv Sena Dussehra rally) आज सत्य का प्रहार विशेष संपादकीय मे टीवी के हर झुट पर सत्य के करेंगे कड़े प्रहार ओर खोजते है जवाब आप के सवाल का आखिर किस की होगी शिव सेना.
शिव सेना दशहरा रैली मे कितनी थी भीड़
मित्रों पिछले 3 दिनों से महाराष्ट्र की बिकाऊ टीवी पत्रकारिता मानो जैसे एक ब्रैन्ड प्रमोशन कर रही थी. पत्रकारिता धर्म धब्बा बन चुकी ‘बड़ा पाव 24 तास ओर वडा माझा’ महाराष्ट्र के विकास, किसान आरोग्य के सवालों को छोड़ मानो दशहरा मेलावा (Shiv Sena Dussehra rally) प्रमोशन कर लोग एकहट्टा करने की कोशिश कर रही थी.
चलो मान लिया ट्रेंडिंग टॉपिक है लेकिन दोनों रैली न्याय देनी की कोशिश मीडिया की होनी चाहिए ऐसे मे चंद मराठी टीवी चनेल ने मानो BKC मैदान मे होने वाली शिव सेना एकनाथ शिंदे की रैली को किस तरह बदनाम किया जाए इसका ठेका ही लिया हुवा था. छत्रपती शिवाजी पार्क मैदान मे आसान संख्या खुरची डालने पर 40 से 50 हजार ही है. उस मैदान पर टीवी पत्रकार 1 से 1.50 खुर्ची डालने की न्यूज पिछले 3 दिनों से चला रहे थे.
उद्धव ठाकरे गुट की शिव सेना रैली मे भीड़ थी भीड़ अनुमान से जादा थी लेकिन मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे गुट की रैली से यह भीड़ काफी कम थी इन्ही जूठे टीवी पत्रकारों कैमरा टटोलने पर साफ अनुमान लगाया जासकता है की 70 से 90 हजार तक की भीड़ छत्रपती शिवाजी पार्क मैदान मे शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट की रैली मे थी.
दूसरी तरफ BKC बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स मैदान की बात करे तो इस मैदान मे 1.50 से 2 लाख की आसान क्षमता है ओर किसी इन्ही टीवी पत्रकारों के कैमरा से साफ देखा जा सकता है की आसान क्षमता से जादा लोग ग्राउन्ड मे खड़े थे ओर ग्राउन्ड के बाहर भी भीड़ थी एकनाथ शिंदे जी की रैली मे अनुमानित भीड़ 2.50 लाख से जादा थी.
कुछ टीवी पत्रकार मराठी टीवी पत्रकार बार बार दावा करते दिखे की एकनाथ शिंदे जी की रैली मे पैसे देके भीड़ बुलाइ गयी. अरे 24 तास मझा माझा वडा पाव खाने वालों वो भी खोके भर के. सिने पे हात रखकर 1 % ईमानदारी आप मे बची हो तो बोलो कोणसी ऐसी राजनेतिक पार्टी है जो भीड़ एकहट्टा नहीं करती ? दोनों गुट ने भीड़ ग्रामीण महाराष्ट्र से बुलाइ हा एकनाथ शिंदे जी ने जादा बुलाइ कुयँकी उनके पास उतने कार्यकर्ता MLA ओर पार्षद थे. अगर उद्धव जी ठाकरे साहब के पास भी होते तो वो भी बुलाते.
लेकिन सामान्य कार्यकर्ता को एक दिन मुंबई आने जाने का किराया मिलता है साथ ही कुछ खाने को मिलता है तो इस बईमान मीडिया को मिर्च इतनी मिर्च लगने के की वजह क्या है ? आप जो ब्रांड प्रमोशन करते हो उसके लिए खोके मिलते है या वडा पाव इस सावल का जवाब पहेले दो. यह मत समझो सामान्य प्रेक्षक टीवी मीडिया का दोगला पण नहीं समझ रहा है आज कल टीवी न्यूज को प्रेक्षक सिर्फ जोक की तरह लेता है ओर न्यूज के लिए गूगल सर्च करता है या यू ट्यूब पर भाऊ तोरसेकर सुशील कुलकर्णी या अन्य लोगों के विडिओ देखता है.
महाराष्ट्र संत ओर थोर विचारों वाले महापुरुषों की भूमि है देश को स्वतंत्रता, हिन्दुत्व समाजवाद राष्ट्रीयता यह विचार महाराष्ट्र की पावन भूमि ने दिए है. महाराष्ट्र मे पैसे लेकर कोई दूसरों के विचार सुनने नहीं जाता टीवी मीडिया का एकनाथ शिंदे गुट के ऊपर पैसे देकर भीड़ एकहट्टा करने का आरोप ना केवल हास्यास्पद है बलकि यह महाराष्ट्र का अपमान भी है.
BKC ओर छत्रपती शिवाजी पार्क की रैली मे अंतर
ट्रेंडिंग न्यूज चल रही थी उद्धवजी ठाकरे की रैली हिन्दूह्रदयसम्राट बाला साहब ठाकरे के पुत्र ओर हिंदूजननायक राज साहब ठाकरे के भाइ उद्धव जी होने से उद्धव जी ठाकरे साहब का वक्रत्व तगड़ा ओर मैने विचार किया उद्धव जी ठाकरे साहब का भाषण सुनूँगा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे साहब काम के मामले मे तगड़े है ही.
विधान सभा के अंदर का भी भाषण तगड़ा करते है लेकिन रैली मे मुख्यमंत्री बनने से पहले कोई विशेष भाषण मैने उनका न सुना ओर न ही उन्होंने किया था मुख्यमंत्री बनने के बाद भी एकनाथ शिंदे साहब पर्ची पढ़ कर भाषण करते है इस लिए हिंदुत्ववादी होने के बावजूद स्पीच सुनने मे एकनाथ जी उतना आकर्षित नहीं कर पाते इसलिए पक्का इरादा किया उद्धव जी का भाषण सुनूँगा. लेकिन हमारी टीवी मीडिया उद्धव जी से प्यार बहोत है लेकिन उनके फालोअर बढ़ने ही नहीं देती. नीचे बार बार एकनाथ शिंदे जी की रैली की निगेटिव खबर ओर लाइव मे अँधारे जी का भाषण.
टीवी बंद कर न्यूज की सत्यता की जांच करने के लिए जैसे ही यू ट्यूब पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी की रैली लाइव देखने चालू की तो स्वतंत्र वीर सावरकर पर भाषण करने वाले अभिनेता शरद पोंगक्षे जी बोल रहे थे, वीर सावरकर देश के पहेले हिन्दूह्रदयसम्राट थे वही देश के दूसरे हिन्दूह्रदयसम्राट बाला साहब ठाकरे की खुर्ची को फूल ओर भगवा शाल से सजाया गया अब एक हिंदुत्ववादी पत्रकार के रूप मे मेरे सामने यह प्रश्न था मै जेल मे कैद संजय राऊत की खाली खुर्ची देखकर उनलोगों का भाषण सुनू जो आजतक वीर सावरकर के विचारों का निचले स्थर पर टीका ओर विरोध करते थे या हिन्दूह्रदयसम्राट बाला साहब ठाकरे की खुर्ची देखकर हिंदुत्ववाद के विचार सुनू.
एकनाथ शिंदे जी के समर्थन मे उतरा ठाकरे परिवार
तभी नजर पड़ी 1985 से 1990 मे शिव सेना के मुख्य भावी नेता के तौर पर जिस नाम की जोर से चर्चा थी ऐसे नेता जयदेव साहब ठाकरे पर जो एक लंबे अंतराल के बाद सेना के मंच पर दिखे.जयदेव जी बाद मे राजनेती से अलिप्त हुए थे ऐसा बताया जताया है की उनको राजनेती से जादा वन्य जीवन ओर भ्रमण मे रुचि थी.
लगा ऐसे ही जैसे एकनाथ जी सेनाप्रमुख के लिए उनके नाम की घोषण कर देंगे लेकिन जयदेव साहब ठाकरे सहारा लेकर स्टेज पर आए तबीयत ठीक न होने से थरथराते हातों से माइक लिया ओर बोले ” माझा एकनाथ शिंदे ना एकट सोडू नका याचा सोबत नेहमी रहा” मतलब मेरे एकनाथ शिंदे जी को अकेला न छोड़े इसका हमेशा साथ निभाए. बस इतना कह कर जयदेव ठाकरे साहब सभा स्थल को जय महाराष्ट्र किया.
थोड़ी देर बाद लाखों की भीड़ मे बैठी स्मिता ठाकरे जी ओर निहार ठाकरे पर शिंदे साहब की नजर पड़ी ओर बहोत ही स्नेह ओर विनम्रता से शिंदे जी ने उन्हे मंच पर आने का न्योता दिया. आप को बता दे की स्मिता ठाकरे जी की पहचान 1995 मे फायर ब्रांड महिला नेता के तौर पर थी वही निहार ठाकरे जी बाला साहब के पोते यानि बिन्दु माधव ठाकरे के पुत्र है.
शिंदे साहब नम्रता ओर विनम्रता यही दर्शा रही थी की वो अभी भी बाला साहब ठाकरे ओर उनके परिवार के प्रति सेवा भाव रखते है. वो अभी भी बाला साहब के विचार के सेवक है पक्षप्रमुख जैसा घमंड शिंदे जी को सीएम बनने के बाद ओर 40 विधायक 12 साँसद साथ आने के बाद भी नहीं दिखा. मानो ठाकरे परिवार के साथ साथ पुरानी शिव सेना को शिंदे साहब एक धागे मे पिरो रहे हो.
परिवार ईमोशन से जादा राजनेती मे मैदान कोण मार गया इसका बड़ा महत्व है एक वक्ता के रूप खुद को साबित करना शिंदे साहब के लिए अनिवार्य था लोकप्रतिनिधि के साथ साथ ठाकरे परिवार का समर्थन हासिल करने की लढाइ शिंदे जी जीत चुके है.
BKC मैदान मे जन्मा राजनीति का महायोद्धा
एकनाथ शिंदे जी उपस्थित जनसमुदाय मार्गदर्शन करने के लिए उठे छत्रपती शिवाजी महाराज को अभिवादन किया जनसमुदाय के सामने नथमस्तक हुए. स्नेह भाव से काफी भाऊक दिखाइ दिए चिंता यही थी की स्नेह भाव से राजनेती का युद्ध नहीं जीता जाता ओर भी शिव सेना जैसी आक्रमक पार्टी का शूरवात मे दिखा वैसे ही पुराने मुद्दे पर्ची मे देख कर घिसापिटा भाषण हो रहा है. मन मे सवाल आया लाखों की भीड़ के जनसर्थन को एकनाथ शिंदे जी पर्ची भाषण से खो ना दे. उद्धव जी ने अपने भाषण मे इतने वार कीये थे की अगर पलटवार न होता शिकस्त तय थी.
भाषण के मुद्दे हजारों है लेकिन मै यहा जिक्र करना चाहूँगा भाषण के राजनेतिक अर्थ ओर भाव का एकनाथ शिंदे जी अपनी आप बीती कुछ पर्ची मे पढ़कर सुना रहे थे कभी आवाज बढ़ती आक्रमक होती तो कभी धीमी आक्रमकता का जवाब आक्रमता से नहीं मिल रहा था. ऐसा लगा की अगले 5 से 10 मिनिट मे पुराने मुद्दे पढ़कर भाषण खत्म होगा. ओर उद्धव जी जीत जाएंगे तभी अचानक जिक्र आया विश्व प्रवक्ता संजय राऊत जी का संजय राऊत जी का नाम आए ओर उद्धव जी की जीत हो ऐसा संभव है ? हमारी टीवी मीडिया ओर संजय राऊत जी ये दोनों स्नेह उद्धव जी पर इतना है जीती हुई बाजी हार मे बदल दे.
संजय राऊत जी द्वारा की गई “गंधी नाली का पानी” टिपन्नी याद कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बरस पड़े ऐसा लगा मानो BKC मैदान मे हर हवा का मुख मोड़ने एक घायल योद्धा हो. स्नेह ओर पारिवारिक भाव का वातावरण जिस मंच पर था उस मंच पर अपने ओर अपने साथी लोक प्रतिनिधि पर हुए हर अन्याय को याद कर शिंदे साहब पलटवार कर रहे थे. इस सभा से पहेले वक्रत्व ही ऐसा मुद्दा था जिस पर मुख्यमंत्री पिछड़ते नजर आते थे. लेकिन मराठी मे कहते है ना “अन्याय वाचा फोड़तो” इस से आगे जाके मै बोलूँगा अन्याय ही योद्धा घडवतो.
पर्ची पीछे छोड़ राजनेतिक वक्ता बने एकनाथ शिंदे का रुद्र अवतार
हिन्दुत्व,हिन्दू ओर अपने साथियों के ऊपर हुए हर अन्याय का पलटवार करते करते एकनाथ शिंदे की भाषण की पर्ची कहा पीछे छूट गई यह एकनाथ शिंदे जी को भी नही पता होगा पिछले 2 साल मे पार्टी ने अपनी हिन्दुत्व की भूमिका को छोड़ बाला साहब के वैचारिक विरोधियों को गले लगाने का हिसाब ही मुख्यमंत्री जी ने मांगा. हिन्दुत्व से भटकी सेना को याद दिलाया नेता नहीं कार्यकर्ता बड़ा होता है. खुद की सरकार होते हुए अपने ही सांगली के जिला प्रमुख पर झुटे केस लगानी वाली तत्कालीन सहयोगी एनसीपी पर तीखे बान छोड़े.
आदित्य ठाकरे के “राजीनामा देकर फिर इलेक्शन” लढने के बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा “2019 मे जब मोदी जी ओर बाला साहब का फोटो लगा कर वोट मांगे ओर काँग्रेस एनसीपी के साथ सरकार स्थापन की तब राजीनामा क्यूँ नहीं दिया”
उद्धव जी की 25 साल युति मे सड़े बयान पर पलटवार करते हुए सीएम ने याद दिलाया भाजपा शिव सेना युति बाला साहब ठाकरे ने की. ओर गद्दार गद्दार का नारा लगाने वालों से हिन्दुत्व के साथ गद्दारी का हिसाब मांगा. दाऊद इब्राहीम को मदत करने वालों के साथ सत्ता मे बैठने की बात पर मुख्यमंत्री आक्रामक हुए. बिना पर्ची के मुख्यमंत्री इसप्रकार पलटवार कर रहे थे की मानो दिल [पर लगे हर जख्म को होंटों पर ला रहे थे. PFI के मुद्दे पर चुप्पी साधने वालों को जमकर धोते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा “देश विरोधी ताकतों को महाराष्ट्र मे पनपने नहीं दिया जाएगा”
मुखमंत्री जी ने उपस्थित जनसमुदाय को याद दिलाया की कश्मीर से 370 कलम हटाना हो या राम मंदिर निर्माण यह बाला साहब ठाकरे जी का सपना था जीसे मोदी जी ने पूरा किया.
जो एकनाथ शिंदे 10 मिनिट से जादा बोल नहीं सकते थे टीका आरोप प्रत्यारोप नहीं करते थे आज अपनी आक्रामक,अभ्यासपूर्ण भाषण शैली से इट का जवाब पत्थर से देते आए 2 लाख की सभा 1.30 घंटे से जादा का भाषण आज महाराष्ट्र की राजनेती मे भूचाल लेकर आया ओर BKC के मैदान मे एक आक्रामक हिन्दू योद्धा को जन्म दे गया.
एकनाथ शिंदे साहब ने कहा बाला साहब के विचार वंशवाद की विरासत नहीं हो सकती. न्यूज 21 सत्य का प्रहार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी से कहना चाहता है भाषण शैली ओर वकृत्व भी किसी वंशवाद की विरासत नहीं हो सकती. आपके हिन्दुत्व ओर वैचारिक विरासत को नमन. सस्नेह जय महाराष्ट्र विशेष संपादकीय न्यूज21 सत्य का प्रहार.
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